Friday 27 February 2015

HOW TO GET RID OF LIQUOR

शराब छुड़ाने के उपाय l HOW TO GET RID OF LIQUOR
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शराब छुड़ाने के उपाय
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यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है तो उसकी पत्नी मंगल या शनिवार को चरखा चलाए।जो व्यक्ति जरूरत से ज्यादा शराब का सेवन करता है तो उसकी पत्नी अपने पैरों के बिच्छुए को पानी से धोकर तथा शराब की बोतल में से थोड़ी सी शराब लेकर उसमें अपने बिच्छुए डाल दे। त्रयोदशी या पूर्णमाशी के दिन वह शराब निकाल कर दूसरी किसी शराब की बोतल में डाल दें। ऐसा पांच मंगलवार या शनिवार करने से शराब पीने की लत छूट जाती है।जो जातक शराब का सेवन अधिक करता है तो उसके लिए सात पताशे लेकर प्रत्येक पताशे में सरसों के तेल की दो-चार बूंदे डालकर फिर बताशे को हाथ से मसलकर घर से बाहर कहीं दूर जाकर फेंक दें। ऐसा ११ दिन लगातार करने से शराब पीने की लत छूट जाती है।
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जब शराब पीने की इच्छा हो तब किशमिश का १-१ दाना मुंह में डालकर चूसें किशमिश का शरबत पीने से भी दिमाग को ताकत मिलेगी और धीरे-धीरे शराब छोड़ने की क्षमता आ जायेगी l साथ ही इस मंत्र का जप करें : - " ॐ ह्रीं यं यश्वराये नमः " अथवा जब शराबी निद्रा में हो तो कुटुम्बी उसकी चोटी वाले भाग में देखते हुए मन ही मन इसका जप करें
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सोने-चांदी का काम करने वाले सोनारों के पास से शुद्ध गंधक का तेज़ाब यानि कि सल्फ़्युरिक एसिड ले आइए और आप जो शराब पीने जा रहे हैं उसके बने हुए पैग में चार बूंद यह तेज़ाब डाल दीजिए और जैसे सेवन करते है वैसे ही पीजिए और आप देखेंगे कि धीरे-धीरे आपकी शराब पीने की इच्छा अपने आप ही कम होने लगी है । इसी क्रम में आप एक दिन खुद ही शराब के प्रति अरुचि महसूस करने लगेंगे और पीना अपने आप छूट जाएगा ,ध्यान रखिए कि आप और कोई उपाय न करें बस खाने पर ध्यान दें कि स्वास्थ्यवर्धक आहार लें ।दूसरा यह कि शिमला मिर्च(कैप्सिकम) जो कि मोटी-मोटी होती हैं व खाने में तीखी नहीं होती व सब्जी बनाने में प्रयोग करी जाती हैं ,ले लीजिए और उनका जूसर से रस निकाल लीजिए व इस रस का सेवन दिन में दो बार आधा कप नाश्ते या भोजन के बाद करें । आप चमत्कारिक रूप से पाएंगे कि आपकी शराब की तलब अपने आप घटने लगी है और एक दिन आप खुद ही पीने से इंकार कर देते हैं चाहे कोई कितना भी दबाव क्यों न डाले । ये दोनो उपाय सन्यासियों के आजमाए हुए हैं जोकि लोगों की शराब छुड़ाने के प्रसिद्ध रहे हैं। आप यकीन मानिये कि इन सरल से उपायों से चालाक किस्म के लोग मजबूर शराबियों की आदत छुड़ाने की दवा के रूप में देकर लाखों रुपए कमाते हैं लेकिन आयुषवेद परिवार चूंकि सेवा के लिये कटिबद्ध है इसलिये हमारा उद्देश्य मात्र आपको सही सलाह देना है। यदि आपको कोई आयुर्वेदिक औषधि जो कि आयुषवेद की तरफ से बतायी गयी है और आपके क्षेत्र में नहीं मिल रही है तो हम उसे आपके आदेश पर बना कर मात्र उत्पादन मूल्य पर स्पीड पोस्ट से आप तक पहुंचा देते हैं।
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तो अपनी शराब में यह होम्योपैथिक दवा प्रति लीटर में बारह बूंद मिला कर रख लें और यकीन मानिए कि जो लोग आपके साथ शराब पीते हैं वे दो महीने में खुद ही शराब पीना बंद कर देंगे,दवा का नाम है SPIRTAS GLANDIUM QUERCUS . यह वही दवा है जिसका प्रचार कर-करके तमाम दवाखानों ने करॊड़ो रुपए कमा लिए हैं । हम किस दवा कए बाद जब शराबी की आदत छूट जाती है तो उसे दो माह तक सुबह शाम दो-दो चम्मच गुलकन्द(प्रवाल मिश्रित) खिलाते हैं और इसके बीस मिनट बा्द दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट बराबर पानी के साथ देते हैं । इससे उसका खोया स्वास्थ्य वापस आ जाता है । आप भी इसी तरह से अपनी टूटती हुई कसमों से बच सकते हैं और यदि नियमित रूप से प्राणायाम करते हैं तो फिर तो सोने में सुगंध जैसी बात है ।

Son Birth

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अपनी इच्छानुसार संतान प्राप्त करने के उपाय.....
विवाह के बाद दंपति को संतान प्राप्ति की प्रबल इच्छा होती है। आज जब लडकियां भी पढ लिखकर काफी उन्नति कर रही हैं तो भी अधिकतर दंपतियों की दबे छुपे मन में पुत्र संतान ही प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। यों तो संतान योग जातक की जन्मकुंडली में जैसा भी विद्यमान हो उस अनुसार प्राप्त हो ही जाता है फ़िर भी कुछ प्रयासों से मनचाही संतान प्राप्त की जा सकती है. यानि प्रयत्नपूर्वक कर्म करने से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है.
योग्य पुत्र प्राप्त करने के इच्छुक दंपति अगर निम्न नियमों का पालन करें तो अवश्य ही उत्तम पुत्र प्राप्त होगा। स्त्री को हमेशा पुरुष के बांई तरफ़ सोना चाहिए। कुछ देर बांयी करवट लेटने से दायां स्वर और दाहिनी करवट लेटने से बांया स्वर चालू हो जाता है. इस स्थिति में जब पुरूष का दांया स्वर चलने लगे और स्त्री का बांया स्वर चलने लगे तब संभोग करना चाहिये. इस स्थिति में अगर गर्भादान हो गया तो अवश्य ही पुत्र उत्पन्न होगा. स्वर की जांच के लिये नथुनों पर अंगुली रखकर ज्ञात किया जा सकता है.
योग्य कन्या संतान की प्राप्ति के लिये स्त्री को हमेशा पुरूष के दाहिनी और सोना चाहिये. इस स्थिति मे स्त्री का दाहिना स्वर चलने लगेगा और स्त्री के बायीं तरफ़ लेटे पुरूष का बांया स्वर चलने लगेगा. इस स्थिति में अगर गर्भादान होता है तो निश्चित ही सुयोग्य और गुणवती कन्या संतान प्राप्त होगी

Thursday 26 February 2015

Periods problems

http://www.vipust.com/पीरियड्स के दिनों में बहुत अधिक दर्द की समस्या
बदलती जीवनशैली, प्रदूषण और खानपान में बदलाव की वजह से अक्सर महिलाओं में पीरियड्स के दिनों में बहुत अधिक दर्द की समस्या आज बेहद आम है। भले ही इस तकलीफ से तुरंत आराम के लिए पेन किलर दवाओं के विकल्प होते हैं पर कई बार महिलाएं डॉक्टरी परामर्श से इन दवाओं के लेने में हिचकिचाती हैं।
ऐसे में इस समस्या से आराम के लिए ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिन्हें मासिक धर्म के समय होने वाले तेज दर्द में आराम के लिए अपनाया जा सकता है। इनका न तो कोई साइड एफेक्ट है और न ही ये अधिक खर्चीली हैं।
अजवाइन
अक्सर पीरियड्स के दौरान महिलाओं में गैस्ट्रिक की समस्या बढ़ जाती है जिसकी वजह से भी पेट में तेज दर्द होता है। अजवाइन का सेवन इससे निपटने में बेहद कारगर है। आधा चम्मच अज्वाइन और आधा चम्मच नमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से दर्द से तुरंत राहत मिल सकती है। इसके अलावा, पीरियड्स के दिनों में अज्वाइन को चुकंदर, गाजर और खीरे के साथ जूस बनाकर पीने से भी दर्द नहीं होता।
अदरक
पीरियड्स में दर्द के दौरान अदरक का सेवन भी तुरंत राहत पहुंचाता है। एक कप पानी में अदरक के टुकड़े को बारीक काटकर उबाल लें। चाहें तो इसमें स्वादानुसार शक्कर भी मिलाएं। दिन में तीन बार भोजन के बाद इसका सेवन करें।
डेयरी उत्पाद
दूध और दूध के बने उत्पाद का सेवन महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है। जिन महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की कमी होती है उन्हें मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं अधिक होती हैं। ऐसे में न सिर्फ पीरियड्स बल्कि हमेशा दूध व डेयरी उत्पाद का सेवन महलिओं के बहुत जरूरी है क्योंकि इनमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।
तुलसी
तुलसी एक बेहतरीन नैचुरल पेन किलर है जिसे पीरियड्स के दर्द में बेझिझक ले सकते हैं। इसमें मौजूद कैफीक एसिड दर्द में आराम पहुंचाता है। ऐसे में दर्द के समय तुलसी के पत्ते को चाय में मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है। अधिक परेशानी हो तो आधा कप पानी में तुलसी के 7-8 पत्ते डालकर उबालें और छानकर उसका सेवन करें।
पपीता
कई बार पीरियड्स के दौरान फ्लो ठीक तरीके से न हो पाने के कारण भी महिलाओं को अधिक दर्द होता है। ऐसे में पपीते का सेवन एक बेहतरीन विकल्प है। इसके सेवन से पीरियड्स के दौरान फ्लो ठीक संतुलित तरीके से होता है जिससे दर्द नहीं होता।

Melancholia or Depression

मानसिक दु:ख (Melancholia or Depression)
परिचय-
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मानसिक दु:ख से पीड़ित रोगी अपने सामाजिक और दैनिक जिम्मेदारियों के प्रति उदास रहता है और उसे इससे अरुचि होने लगती है। इस कारण से उसकी जीवन शैली एकदम बदल जाती है, मानसिक व भावनात्मक दबाव होने लगता है।
कारण :-
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कई प्रकार की औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण से मानसिक दु:ख उत्पन्न होता है।
किसी प्रकार के संक्रामक रोग जैसे फ्लू या टायफायड, टी.बी. या एड्स आदि कारण से भी यह उत्पन्न हो सकता है।
अंत-स्त्रावी ग्रंथि में किसी प्रकार से बदलाव उत्पन्न होने के कारण से उसके द्वारा उत्पन्न हार्मोन्स में गड़बड़ी होने के कारण से मानसिक आघात होता है।
किसी प्रकार से अचानक घटना घट जाने के कारण से यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
लक्षण :-
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मानसिक दु:ख से पीड़ित रोगी अधिक निराशावादी और उदासीन हो जाता है। उसके मन में अपने को बेकार व लाचार मानने की भावना उत्पन्न होती है। वह अपने को दोषी मानने लगता है। उसे चिड़ड़ाहट, घबराहट तथा उत्तेजना होती है। अक्सर जोर से रोने का मन करता है। दैनिक क्रियाओं को करने में उसका मन नहीं लगता है। उसके सोचने की शक्ति तथा एकाग्रता कम हो जाती है। नींद भी ठीक से नहीं आती है। शरीर का वजन घटने या बढ़ने लग जाता है। शरीर की शक्ति भी कम हो जाती है। किसी भी कार्य को करने से जल्दी थकावट उत्पन्न होती है। मन में आत्महत्या करने का विचार उत्पन्न होता रहता है।
मानसिक दु:ख होने पर क्या करें और कया न करें :-
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1) रोगी को अपने रोग का उपचार कराने के लिए किसी अच्छे
2) चिकित्सक से मिलना चाहिए और उसके सलाह के अनुसार ही कार्य करना चाहिए।
3) रोगी को अपने आप मानसिक दु:ख को खत्म करने की दवाईयां नहीं लेनी चाहिए।
4) प्रतिदिन सुबह तथा शाम के समय में योग, व्यायाम तथा ध्यान करना लाभदायक है।
5) कोई भी ऐसे शब्द का उचारण करे जिससे शांति मिले जैसे ओम्..ओम् या अपने ईश्वर को याद करने का अन्य शब्द आदि।
6) रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।
7) जब रोग के लक्षण उत्पन्न हो तब आंखों को बंद करके शान्त बैठे, इससे लाभ मिलेगा।
8) ताजे फल, विटामिन बी काम्प्लेक्स व सैलेनियम का सेवन करें।
9) कार्बोहायड्रेट का भी सेवन करें इससे मानसिक दु:ख को दूर करने में मदद मिलेगी।
10) किसी भी काम को करने में अपने आप को लगाए इससे दु:ख से छुटकारा पाने में सहायता मिलेगा।
11) दिमाग को व्यस्त रखने के लिए कोई उचित मानसिक कार्य करें।
सदा पौष्टिक और संतुलित आहार करें।
12) रोगी के इस रोग को दूर करने के लिए सबसे पहले इसके होने कारणों का पता लगाए इसके बाद उपचार करें।
13) अपने समस्याओं को अपने किसी साथी या सगे सम्बंधी को बताए, हो सकता है कि वे कुछ आपकी मदद कर सकें।
14) अपने दु:ख को किसी दूसरे को बताने से कुछ दु:ख तो अपने आप ही दूर हो जाता है

Stomatitis

मुंह के छाले(Stomatitis)....
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परिचय-
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मुंह और जीभ पर छोटे-छोटे घाव या छाले हो जाते हैं। कुछ लोगों के मुंह में छाले बार-बार उत्पन्न होते रहते हैं। मुंह में छाले होने पर खाना खाने, पानी पीने, बोलने में कठिनाई होती है।
कारण :-
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मुंह के छाले शरीर की आंतरिक गड़बड़ी के कारण होता है और कभी-कभी मुंह के छाले सख्त चीजों का सेवन करने के कारण भी होता है।
मुंह के छाले कई प्रकार की शरीर की आंतरिक गड़बड़ी के कारण होता है। पाकाशय में गड़बड़ी के कारण जब खाना ठीक से हजम नहीं हो पाता तब पेट में कब्ज बनने के कारण मुंह में छाले या घाव हो जाते हैं। सड़ा या स्फोटक बुखार होने पर या गर्म चीजें खाने के कारण मुंह जल जाने के कारण भी मुंह में छाले हो जाते हैं। दांत साफ न करना, पारे का अधिक सेवन करना, अधिक मात्रा में चूना या चीनी का सेवन करना, विटामिन-बी की कमी, अपौष्टिक भोजन करना, अस्वस्थकर जगहों पर रहना, खून की खराबी आदि कारणों से भी मुंह में छाले होते हैं।
स्त्रियों में मासिकस्राव सम्बंध गड़बड़ी के कारण मुंह के छाले होते हैं। मुंह के छाले दूसरे के द्वारा भी होते हैं इसका कारण यह है कि जब कोई व्यक्ति छाले वाले व्यक्ति के साथ खाता है या उसका पीया पानी पीता है तब उसके मुंह में भी छाले हो जाते हैं। मुंह के छाले अधिक शराब पीने, गुटिका खाने, सिगरेट पीने, एन्टीबायोटीक्स जैसी दवाईयों का प्रयोग करने के कारण होता है।
कुछ लोगों में यह छाला बार बार होता है। शायद पाचन की गड़बड़ी के कारण। यह अक्सर मसालेदार भोजन करने के बाद हो जाता है। इस तरह इसके लिए आर्युवेद की गर्म खाने के सिद्धांत फिट बैठता है। कभीकभी चिरकारी अमीबियोसिस से यह हो जाता है। मानसिक परेशानी के चलते भी यह छाला हो जाता है।
लक्षण :-
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मुंह को अन्दर से ढकने वाली झिल्ली जब फूलकर लाल हो जाती है तो उसमें दर्द के साथ जख्म बन जाते हैं। मुंह में जख्म बनने पर उसमें पीब बनने लगते हैं जिसे मुंह के छाले कहते हैं। मुंह में छाले होने पर मुंह के अन्दर की त्वचा या जीभ पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। मुंह के छाले या घाव का तल सफेद हो जाता है। छाले होने पर मुंह से अधिक लार आने लगता है, तथा मुंह में जलन व दर्द होता है। मुंह में छाले होने पर मुंह से बदबू आने लगती है, जीभ लाल होकर फूल जाती है तथा मसूढ़े और तालु भी फूल जाते हैं। छाले अधिक दिनों तक रहने पर उससे खून निकलने लगता है विशेषकर कुछ खाते समय। इन्फेक्शन होने पर बुखार के लक्षणों के साथ भी छाले हो जाते हैं।
मुंह में छाले होने पर क्या करें और क्या न करें :-
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1) मुंह में छाले होने पर नमक, मिर्च, खटाई, तेल, घी, मिर्च-मसालेदार भोजन न करें।
2) अधिक मीठी चीजों का सेवन करना हानिकारक होता है।
3) शराब, सिगरेट व गुटिखा न खाएं।
4) अपने आप रोग को ठीक करने के लिए कोई एन्टीबायोटिक दवाईयों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5) खाना खाने के बाद मुंह को अच्छी तरह साफ करें।
6) दांत साफ करते समय मुलायम ब्रश से हल्के हाथ से ब्रश करें।
7) विटामिन-बी युक्त आहार लें तथा नींबू का सेवन करना रोग में लाभकारी होता है।
8) इस रोग में कैलि-क्लोर औषधि की 1x मात्रा का चूर्ण या सुहागा को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करने से लाभ मिलता है।
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मुंह के छालों से बचने के घरेलू उपचार …………
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1. शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुंह के छालों पर करें और लार को मुंह से बाहर टपकने दें, इससे छाले ठीक हो जाते हैं।
2. मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए, उससे भी छाले जल्दी ठीक हो जाते हैं।
3. छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने चाहिए, इससे छालों में आराम मिलता है।
4. अमलतास की फली मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुंह में रखिए, या केवल अमलतास के गूदे को मुंह में रखने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
5. अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।
6. सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटिए, इससे मुंह के छाले समाप्त हो जाएंगे।
7. पान के पत्तों का रस निकालकर, देशी घी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।
8. नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
9. ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन कीजिए, इससे पेट साफ होगा और मुंह के छाले नहीं होंगे।
10. मशरूम को सुखाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लीजिए, इस चूर्ण को छालों पर लगा दीजिए। मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।
11. मुंह के छाले होने पर चमेली के पत्तों को चबाइए। इससे छाले समाप्त हो जाते हैं।
12. छाछ से दिन में तीन से चार बार कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
13. खाना खाने के बाद गुड चूसने से छालों में राहत होती है।
14. मेंहदी और फिटकरी का चूर्ण बनाकर छालों पर लगाएं, इससे मुंह के छाले समाप्त होते हैं।
15. अगर आपको बार-बार मुंह के छाले हो रहे हैं तो अपने मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए।
16. नमक और बेकिंग सोडा……नमक और बेकिंग सोडा को चुटकी भर पानी मिलाएं और छाले पर लगाकर 10 मिनट तक छोड़ दें। इसके बाद पानी से कुल्ला करें।
17. नारियल पानी…………नारियल पानी न सिर्फ पेट के लिए अच्छा है बल्कि छालों के दर्द में भी आराम देता है और मुंह को ठंडक पहुंचाता है।
18. शहद और केला………..शहद में केला मिलाकर खाने से भी मुंह के छाले जल्दी ठीक होते हैं और दर्द कम होता है। बहुत अधिक तकलीफ पर इनका पेस्ट बनाकर भी लगाया जा सकता है।
19. अमरूद का पत्ता…………अमरूद के पत्तों का पेस्ट बनाकर छाले पर लगाएं, इससे तुरंत आराम मिलेगा।
20. आंवला………….आंवला को उबालकर पेस्ट बनाएं और छाले पर लगाएं। छाला जल्दी ठीक होगा।
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इलाज….
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इस छाले का इलाज मुश्किल है। यह आमतौर पर एक दो हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाता है। इस छाले के लिए कोई भी ठीक इलाज नहीं है, पर कुछ लोगों को विटामिन बी (फोलिक ऍसिड) से फायदा होता है। मुँह की सफाई से बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है। अल्सर की जगह पर ज़ाईलोकेन जैली नाम का संवेदना हारक लगाने से दर्द में कमी होती है। इससे बोलने व खाने में आसानी होती है। पर इस संवेदना हारक का असर केवल आधे घंटे रहता है। ग्लीसरीन बोरेक्स या फिटकरी का घोल लगाने से भी कुछ देर तक आराम पड़ता है।
कभी कभी लैक्टोबेसीलिस के साथ इलाज से अक्सर छाला ठीक हो जाता है। इन बैक्टीरिया से आंत में विटामिन बी कांपलैक्स बनता है। अगर स्थानीय लसिका ग्रंथियॉं सूज जाएं तो एंटीबायोटिक और ऐस्परीन दें। आंतो में स्थित जीवाणू विटामिन बी बनाते है, इसलिए इन जीवाणूओं का इलाज के रूप प्रयोग किया जाता है।
बी कांप्लैक्स की कमी से मुखपाक……
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एक अन्य तरह की बीमारी है छालों के बिना मुँह अंदर से लाल होना। पॉंच दिन विटामिन बी कांप्लैक्स की गोलियॉं खाने से इस में फायदा हो जाता है। जीभ का लाल होना या कट फट जाना भी इसी तरह की तकलीफ है। इसमें भी इसी इलाज से फायदा होता है।
ऐसे मामलों में यह पता लगाना ज़रूरी है कि व्यक्ति का खाना क्या है। खाने में विटामिन बी देने वाली चीज़ें हैं या नहीं। विटामिन से भरपूर चीजें खाने से (जैसे बिना पॉलिश किया चावल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियॉं) खाने से इस बीमारी से बचाव होता है।
नुकीले व खुरदुरे दाँतों के सिरों से अल्सर…………
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कभी कभी कोई नुकीला या खुरदुरा दाँत मुँह के किसी भाग पर बार बार लगने से वहॉं छाला हो जाता है। अगर मुँह में एक ही जगह पर बार बार छाला हो तो दाँतों की जांच करें। आमतौर पर इससे तकलीफ का निदान हो जाता है। इलाज में किसी दाँतों के डाक्टर से दाँत घिसवाने की ज़रूरत होती है।
ऐलर्जी से होने वाले छाले…………
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मुँह में होने वाले छाले का एक और कारण सल्फा दवाइयॉं (जो कि कोट्रीमोक्साज़ोल - सल्फा का जोड़ का भी हिस्सा है) भी हैं। इसलिए रोगी से इन दवाइयों से पहले कभी हुई प्रतिक्रिया के बारे में पूछिए। यह छाले आमतौर पर कई सारे होते हैं एक नहीं। सबसे पहले दवाई देना बंद करें। संक्रमण से बचाव के लिए बार बार मुँह धोने की सलाह दें। आराम पहुँचाने वाला द्रवीय खाना जैसे दें। ठीक होने में कुछ दिन लगते हैं। फोलिक ऍसिड की गोली देनेसे छाले जल्दी भर आते है।
बुखार के समय मुँह में छाले………..
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बुखार और खासकर वायरस से होने वाले बुखार में मुँह में छाले हो जाते हैं। ये अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। सिर्फ मुँह धोना और ज़ाईलोकेन जैली लगाना ज़रूरी है।
लाईकेन प्लेनस…………….
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यह बीमारी है मुँह में एक लंबे समय तक रहने वाला बिना दर्द वाला चकत्ता। यह या तो लाईकन प्लेनस हो सकता है या कैंसर के पहले का घाव। किसी भी स्थिति में ऐसे चकत्तों के बारे में जल्दी से जल्दी विशेषज्ञ की सलाह ज़रूरी है।
छाले और आर्युवेद………..
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आर्युवेद में कहा गया है कि जिन लोगों में मुँह में घाव हों उनकी शौच की आदतों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर किसी भी तरह का कब्ज़ हो तो सबसे पहले उसे ठीक करना चाहिए। इसबगोल, त्रिफला, अमलतास या अरण्ड के तेल जैसा कोई मृदुविचेरक (सारक) फायदेमंद हो सकता है। विरेचन के बाद एक चम्मच घी ले लेने से अच्छा रहता है। मुँह में घाव वाले सभी रोगियों के लिए एक आम सलाह हे कि वो गर्म, मसाले दार और खट्टी चीज़ें न खाएं। मुखपाक की जगह का इलाज करने से ज़्यादा ज़रूरी है कि शरीर के अंदर की गड़बड़ी ठीक की जाए।
एक और इलाज है सोने से पहले छाले की जगह पर घी और मुलैठी का मिश्रण लगाना। हल्दी के रोगाणु विरोधी गुण के कारण इसको लगाने से भी फायदा होता है। फिटकरी के पानी से कुल्ला करने से भी कुछ मिनटों के लिए दर्द में आराम मिलता है।
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मुंह के इन छालों पर कोई भी दर्द-निवारक ऐंसीसैप्टिक ड्राप्स लगा देने चाहियें......ऐसे ड्राप्स अथवा अब तो इन्हीं नाम से ट्यूब रूप में भी दवायें आने लगी हैं....कुछ के नाम मैं लिख रहा हूं.......Dentogel, Dologel, Zytee, Emergel, Gelora ORAL ANALGESIC / ANTISEPTIC GEL……नोट करें कि इन का भी काम मुंह के छाले को भरना नहीं है....ये केवल आप को उस छाले से दर्द से कुछ समय के लिये राहत दिला देती हैं। इन पांचों में से आप किसी भी एक दवाई को लेकर दिन में दो-चार बार छालों पर लगा सकते हैं। वैसे विशेष रूप से खाना खाने से पांच मिनट पहले तो इस दवाई का प्रयोग ज़रूर कर लें। और हां, दो-चार मिनट के बाद थूक दें। लेकिन बाई-चांस अगर कभी कभार गलती से एक-आध ड्राप निगल भी ली जाये तो इतना टेंशन लेने की कोई बात नहीं होती।
Betadine ….Mouth gargle से दिन में दो-बार कुल्ले कर लेने बहुत लाभदायक हैं........हमेशा के लिये नहीं............केवल उन एक दो –दिन दिनों के लिये ही जिन दिनों आप इन छालों से परेशान हैं। लेकिन रात के समय सोने से पहले इन छालों वालों दो-चार दिनों में इस बीटाडीन गार्गल से कुल्ला कर लेने बहुत लाभदायक है। यह भी आप की आवश्यकता के ऊपर निर्भर करता है.
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HOMEOPATHIC MEDICINE..........
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बोरेक्स 30 , 200

Smoking

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नशा से मुक्ति की दवा

Tuesday, Feb 26, 2015
मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ???
बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शाराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ????
तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शारब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!

मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो !
बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिये (active) होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है ! और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है । चंद्र नाड़ी जीतनी सक्रिय होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी । और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे , और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरे और छोड़ो, ये एक तरीका है , और बहुत आसन है !


दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड्वने के लिए ! और उस ओषधि का नाम है अदरक ! और आसानी से सबके घर मे होती है ! इस अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अदबुद चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा !
बहुत आसन है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से लिख देता हूँ !
अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लाड़ मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !

आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !????

यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है ! तो यह अंदर ऐसे हारमोनस को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !
और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !

और इसका दूसरे उपयोग का तरीका पढे !

अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दावा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दावा देदेगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !
तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर दाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियाकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियकरों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियकारों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !
तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियकर है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले !आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!

विशेष बात!
अधिक मात्रा में चाय और काफी पीने वालों के शरीर में ARSENIC  तत्व की कमी होती है, उसके लिए आप ARSENIC- 200 का प्रयोग करे ।
गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे PHOSPHORUS तत्व की कमी होती है। उसके लिए आप PHOSPHORUS 200 का प्रयोग करे ।
और शराब पीने वाले में सबसे ज्यादा SULPHUR तत्व की कमी होती है। उसके लिए आप SULPHUR 200 का प्रयोग करे।
सबसे पहले शुरुआत आप अदरक से ही करें।।

Wednesday 25 February 2015

IDIOCY Treatment

मंद-बुद्धिता (जड़-बुद्धिता) (IDIOCY)
विभिन्न औषधियों से चिकित्सा :-
1. बैराइटा कार्ब :- इस रोग से पीड़ित रोगी बिल्कुल जड़-बुद्धि बालक की तरह हो जाता है, उसका दिमाग ठीक प्रकार से काम नहीं करता है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए बैराइटा कार्ब औषधि की 30 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
   मंद-बुद्धिता को दूर करने के लिए भी बैराइटा कार्ब औषधि का उपयोग किया जा सकता है। इस औषधि से चिकित्सा करने पर इसका प्रभाव कुछ देर से होता है लेकिन उपयोग में इसे दोहराया जा सकता है।
जो बच्चे मानसिक दृष्टि से कमजोर और शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं, पेट फूला रहता है या उन्हें टांसिलों में शिकायत रहती है, उनके इस प्रकार की परेशानी को दूर करने के लिए बैराइटा कार्ब औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
2. ट्युबर्क्युलीनम :- बैराइटा कार्ब औषधि के प्रयोग से बच्चों के टांसिलों में सुधार हो जाता है और यह बालक के विकास में सहायक होती है। इस औषधि का सेवन करते हुए पंद्रह दिनों के बाद एक बार ट्यबर्क्युलीनम औषधि की 1m मात्रा का सेवन करना चाहिए, इससे अधिक लाभ मिलेगा।
3. कैल्केरिया कार्ब :- रोगी मोटा और थुलथुला हो, उसकी मांस-पेशियां ढीली पड़ी हो तथा लटकी रहती हो, शाम के समय में वह भयभीत रहता हो, आंशका भी होती रहती हो। रोगी को ऐसा लगता है कि कहीं सिर पर कुछ लग न जाए, कहीं बुद्धि साथ न छोड़ दे। रोगी भुलक्कड़ स्वभाव का हो जाता है, किसी भी बात को ठीक से नहीं समझ पाता है, वह उत्साहहीन तथा हतप्रभ रहता है, चिंता होती है तथा हृदय की धड़कन असमान्य रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग की चिकित्सा करने के लिए कैल्केरिया कार्ब औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
4. कैलकेरिया फॉस :- बच्चा पतला-दुबला रहता है तथा उसके शरीर में खून की कमी हो जाती है, वह सब समय चिड़चिड़ा रहता है, कहता रहता है कि कहीं चलो, कहीं चलो। ऐसे रोगी बच्चे की चिकित्सा करने के लिए कैलकेरिया फॉस औषधि की 30, 200 या 3x मात्रा का उपयोग करना उचित होता है।
5. बैराइट म्यूर :- बैराइट म्यूर औषधि ऐसे मंद-बुद्धि बच्चों के लिए उपयोगी है जो मुंह खुला रखते हैं और नाक से बोलते हैं। देखने में ही जड़-बुद्धि के लगते हैं, सुनाई भी ऊंचा देता है, शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोर रहते हैं, इनके टांसिल बड़े होते हैं, कुछ भी निगलने में कष्ट होता है। ऐसे रोगी के रोग को उपचार करने के लिए बैराइट म्यूर औषधि की 3x मात्रा का उपयोग करना लाभदायक है।
6. सिफिलीनम :- मंद-बुद्धि तथा शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर रोगी का उपचार बैराइटा कार्ब औषधि से करना उचित होता है। बैराइटा कार्ब औषधि के उपयोग से रोगी के टांसिलों में सुधार हो जाता है और यह उनके विकास में सहायक होती है। इस औषधि का सेवन करते हुए पंद्रह दिन के बाद एक बार ट्यबर्क्युलीनम औषधि की 1m मात्रा का सेवन करना चाहिए, इससे अधिक लाभ मिलेगा। यदि ट्यबर्क्युलीनम औषधि औषधि का सेवन करने पर लाभ न मिले तो सिफिलीनम औषधि की 1m मात्रा इसकी जगह पर देने से फायदा मिलता है।

Public Health

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आज कल डॉक्टर्स मरीज को ठीक करना नही बल्कि उन्हें अपना रेगुलर पेशेन्ट बना कर रखना चाहते हैं जिससे उनकी दुकान नियमित रूप से चलती रहे।
हम यहाँ आपको ऐसी होम्योपेथिक दवाइयों के विषय में बताएंगे जो अलग- अलग रोगो के लिये विभिन्न कम्पनियो द्वारा दो या अधिक दवाइयों के कॉंबिनेशन से बनाई जाती हैं। इन्हें आप स्वयम् ली सकते हैं इनका कोई साइड एफेक्ट नहीं होता है। इनमें कुछ भारतीय और कुछ जरमानी होती है ।भारतीय दवाइयाँ सस्ती होती है। दोनो ही असरकार होती हैं ।दवाइयाँ लेने के निर्देश इनके साथ ही लिखे आते हैं
इसके अलावा भी हम अन्य अलग -अलग होमोपेथिक और आयुर्वेदिक दवाइयों पर भी चर्चा करेंगे
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होम्योपैथी-से-उपचार

Spicies

छोटी ईलाइची, लौंग,प्याज आदि मशाले के साथ साथ एक अच्छी दवा भी है।

  • हरी इलायची छिलके सहित इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी होना बंद होती है।
  • हरी इलायची 10 ग्राम, सौंफ 20 ग्राम, मिश्री 40 ग्राम तीनों को (इलायची छिलके सहित) महीन पीसकर मिला लें। प्रातः एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है व हृदय को बल मिलता है।
  • छिलके सहित छोटी इलायची, सौंठ, कालीमिर्च और दालचीनी समभाग लेकर पीस लें और महीन चूर्ण बना लें। चाय बनाते समय खौलते पानी में यह चूर्ण एक चुटकी भर डालकर चाय बनाइए। बड़ी स्वादिष्ट चाय बनेगी।
  • लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा।
  • नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
  • लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।
  • लौंग, सौंफ, छोटी इलायची, जरा-सा खोपरा समभाग लेकर कूट-पीस लें। इसे मुँह में रखने से मुख शुद्ध और दाँत मजबूत होते हैं। 
  • प्याज : सेहत का रखवालाप्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी।
  • यदि दाँत का दर्द है, तो उसके नीचे प्याज का एक छोटा टुकड़ा दबा लीजिए। आराम मिलेगा।
  • प्याज के सेवन से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
  • प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है।
  • अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें।
  • सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।
  • प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
  • यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें।प्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी।
  • उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप कम करता है।
  • उल्टियाँ हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है।
  • जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है।
सीने में जलन होना सामान्य समस्या है। भोजन में अति होना, चाय ज्यादा पीना व अजीर्ण हो जाने की स्थिति में ऐसा होता है। बार-बार सीने में जलन होने लगे तो समझो कि भोजन नली ठीक नहीं है, उसमें आमाशय से तेजाब आ रहा है।दरअसल हमारी खाने की नली और आमाशय के बीच पेशी का एक वॉल्व होता है, जो सामान्य रूप से चीजों को खाने की नली से आमाशय की ओर ही जाने देता है। उससे गुजरकर ही खाई गई वस्तुएँ आमाशय में पहुँचती हैं।यह वाल्व उन्हें फिर वापस खाने की नली में नहीं लौटने देता, लेकिन कई बार कुछ चीजें इस वॉल्व में गड़बड़ी पैदा कर देती हैं, जिससे आमाशय में बना अम्ल खाने की नली में जाने लगता है।जलन रोकने के लिए जरूरी है कि आप तली हुई वसादार चीजें न खाएँ, भोजन सीमित मात्रा में थोड़ा-थोड़ा करें। रात में सोते हुए जलन उठती है तो सिरहाना पलंग के पाए से चार से छह इंच ऊँचा कर दें, ताकि शरीर का ऊपरी भाग ऊपर ऊठा रहे।

झाइयाँ व झुर्रियाँ-
  त्वचा पर झाइयाँ पड़ जाएँ तो चेहरा कुम्हला जाता है तथा त्वचा रूखी, सूखी और खुश्क हो जाती है। झुर्रियों से त्वचा में सिकुड़न पड़ जाती है तथा आँखों के नीचे काले घेरे बनने की समस्या भी हो जाती है, जिससे अच्छा खासा चेहरा भी खराब नजर आता है।उपचार का तरीका
  • सर्वप्रथम तो खट्टे, नमकीन, तीखे, उष्ण, दाहकारक, भारी, देर से हजम होने वाले तथा पित्त को कुपित करने वाले, मिर्च-मसालेदार पदार्थों का सेवन बंद कर दें।
  • पानी भरपूर पिएँ इससे आपका खून साफ रहेगा, खून खराब रहने पर ही इस प्रकार की बीमारियाँ होती हैं।
  • जायफल को पानी या दूध में घिसकर झाइयों पर लगाएँ।
  • हल्दी चूर्ण, बसेन तथा मुलतानी मिट्टी समान भाग मिलाकर जल में घोलकर पेस्ट बना लें तथा इस पेस्‍ट का झाइयों पर लेप करें. आधे घंटे बाद कुनकुने पानी से धो डालें।
  • घृतकुमारी (Aloe Vera) यानी ग्वारपाठा का गूदा गाय के दूध में मिलाकर झाइयों पर लेप करें। लेप लगाने के बाद आधा घंटे लगा रहने दें। इसके बाद कुनकुने पानी से साफ कर दें। इसी तरह चंदनादि लेप का प्रयोग भी किया जा सकता है। 
  • सुबह शौच के बाद खाली पेट एक ताजी मूली और उसके कोमल पत्ते चबाएं। थोड़ी सी मूली पीसकर चेहरे पर मलें। यह दोनों प्रयोग साथ-साथ एक माह तक करें व फर्क देखें।
  • अदरक को पीसकर झाइयों पर लेप करें व एक-दो घंटे रहने दें। स्नान करते समय इसे हल्के हाथ से निकालते जाएँ, पश्चात नारियल का15 ग्राम हल्दी चूर्ण को बरगद या आक (आँकड़ा) या पीपल के दूध में मिलाकर गूंथ लें। रात को सोते समय चेहरे पर इसका लेप करें तथा सुबह चेहरा धो लें। कुछ दिनों तक ऐसा करने से झाइयाँ दूर हो जाती हैंतेल लगा लें। कुछ दिन ऐसा करने से झाइयाँ दूर हो जाती हैं।
  • प्याज के बीज पीसकर शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाकर धीरे-धीरे मलें। 2-3 दिन यह क्रिया दोहराते रहें, इससे झाइयाँ दूर हो जाएँगी और त्वचा की कांति लौट आएगी।
  • 15 ग्राम हल्दी चूर्ण को बरगद या आक (आँकड़ा) या पीपल के दूध में मिलाकर गूंथ लें। रात को सोते समय चेहरे पर इसका लेप करें तथा सुबह चेहरा धो लें। कुछ दिनों तक ऐसा करने से झाइयाँ दूर हो जाती हैं।
नोट : किसी भी एक नुस्खे का प्रयोग करें, सारे नुस्के एक साथ न आजमाएँ।
 

Guarana



आज की औषधि :: गुअराना (Guarana)
सिर दर्द के लिए एक उपाय के रूप में इसके उपयोग को समझा जा सकता है क्योंकि इसमें कैफीन का एक बड़ा प्रतिशत होता है.
बौद्धिक उत्तेजना. जिन लोगों में सिरदर्द , जिन्हें चाय और अधिक कॉफी का इस्तेमाल करने की आदत हो । शराब के उपयोग के बाद सिर दर्द । पित्ती (Dulc, एपिस, क्लोरल) ।
खाने के बाद प्लावित चेहरा (Flushed Face) साथ। बेकाबू निंद्रा और सिर का भारीपन ।
संदर्भ: होम्योपैथिक मटेरिया मेडिका
विलियम बोरिक द्वारा